आरक्षण देना अर्थात देश को कमजोर करना है। आरक्षण का आधार किसी सम्प्रदाय या धर्म का नही होना चाहिए। किसी धर्म के आधार पर आरक्षण देना यह भारतीय संविधान का उल्लंघन है ! – सम्पादक, हिन्दुजागृति
मुंबई – महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक ने शनिवार को कहा है कि, उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली राज्य सरकार प्रदेश में पांच प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण वापस लाने के लिए कानूनी सलाह लेगी ।
उन्होंने कहा कि, मुसलमानों के लिए आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करना प्रदेश में सत्तारूढ़ महाराष्ट्र विकास अघाडी के न्यूनतम साझा कार्यक्रम में शामिल है जिसे पिछले साल सत्ता में आने से पहले अघाडी के घटकों -शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस – ने मिल कर बनाया था ।
मलिक ने कहा, ‘‘मुस्लिमों के लिए आरक्षण की व्यवस्था वापस लाने के लिए हम लोग कानूनी सलाह लेंगे । अब तक इस बारे में कोई निर्णय नहीं किया गया है लेकिन निश्चित तौर पर इस दिशा में कदम उठाये जायेंगे ।’’
बता दें कि, महाराष्ट्र में 2014 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जून महीने में प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस राकांपा गठबंधन सरकार ने मुस्लिमों के लिए पांच प्रतिशत के आरक्षण की व्यवस्था की थी और इस संबंध में अध्यादेश भी जारी किया था । हालांकि बाद में नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा कानूनी दांवपेंच में अटक गया। बाद में देवेंद्र फडनवीस के नेतृत्व में बनी भाजपा और शिव सेना सरकार ने मुस्लिम आरक्षण रोक दिया। अब कांग्रेस नेता फिर से आरक्षण की उस व्यवस्था को लागू करने का दबाव बना रहे हैं।