जेएनयू की आइशी घोष का देशविरोधी चेहरा सामने आया !
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में कश्मीर का विषय क्यों ? देश के लोगों को कश्मीर के खिलाफ भडकाने का षड्यंत्र तो नहीं ? – सम्पादक, हिन्दुजागृति
सीएए के विरोध में पिछले लंबे समय से JNU में चली आ रही लड़ाई अब कश्मीर तक जा पहुंची है। इस तरह से एक बार फिर जेएनयू के वामपंथियों का राष्ट्रविरोधी चेहरा सामने आ रहा है । हालांकि मुद्दे से भटकना उनका पुराना रवैया रहा है, लेकिन मौजूदा छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने एक बार फिर इसे सिद्ध भी किया ।
दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में पिछले करीब 20 दिनों से सीएए के ख़िलाफ चल रहे धरना प्रदर्शन को अपना समर्थन देने के लिए बुधवार को जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष पहुंची, जहां आईशी ने मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि “इस लड़ाई में हम कश्मीर को पीछे नहीं छोड़ सकते, ये कश्मीर के ही हक़ की लड़ाई है और इससे पीछे नहीं हटा जा सकता। वहाँ के लोगों के साथ जो हो रहा है वह बहुत ही ग़लत हो रहा है और हर मंच से हम उनके हक़ की लड़ाई लड़ेंगे। कश्मीर से ही इस सरकार ने शुरू किया था कि हमारे संविधान को हमसे छीना जाए। “
JNUSU president Aishe Ghosh outside Jamia Millia Islamia: Hum is ladai mein Kashmir ka pichha aur unki baat nahi bhul sakte. Unke sath jo ho raha hai, kahin na kahin wahin se is sarkar ne shuru kiya tha ki hamare samvidhan ko hamse chheena jaye. pic.twitter.com/nnfnUQGjWx
— ANI (@ANI) January 15, 2020
Can @aishe_ghosh clarify what's the connection between Kashmir & CAA/NRC?
From these violent, unnecessary protests, 1 point get highlighted that these leftist & jihadi forces want to destabilise our country!
We urge @HMOIndia & @AmitShah ji to take action against these elements https://t.co/TpjGjXzlli
— HinduJagrutiOrg (@HinduJagrutiOrg) January 16, 2020
उन्होंने आगे यह भी कहा कि “अगर हम इतिहास पढ़ेंगे तो राम प्रसाद बिस्मिल को याद करेंगे। गोडसे, सावरकर ने माफी माँगी वैसा इतिहास हम नहीं पढ़ेंगे।”
आईशी घोष के इस बयान को कश्मीर से हटाए गए अनुच्छेद 370 और 35ए से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को हटा दिया था। इसके साथ ही सरकार ने जम्मू-कश्मीर को अलग और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। अनुच्छेद 370 को हटाने से पहले से लेकर इसे हटाने के बाद से केंद्र सरकार कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दिया था। इतना ही नहीं वहाँ के हालातों पर काबू पाने के लिए सरकार ने जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट, मोबाइल फोन, लैंडलाइन सेवाओं पर पाबंदी लगा दी थी। हालांकि अब हालात सामान्य होने की वजह से इन सेवाओं को धीरे-धीरे बहाल किया जा रहा है।
स्त्रोत : OpIndia