जेएनयू में ५ जनवरी को हुए हिंसा के बाद देश के 208 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। जिसमें वामपंथियों के कैंपस में हिंसक गतिविधियों पर चिंता जाहिर की है। चिट्ठी में २०८ विश्वविद्यालयों के कुलपति के हस्ताक्षर भी हैं। इस चिट्ठी में लिखा गया है कि, वामपंथी कार्यकर्ताओं की गतिविधियों की वजह से कैंपस में पढ़ाई-लिखाई काम बाधित होता है और इससे विश्वविद्यालयों का वातावरण खराब हो रहा है। इन कुलपतियों ने आरोप लगाया है कि इन वाम गुटों द्वारा कम उम्र के छात्रों को वैचारिक रूप से प्रभावित किया जा रहा है जिससे नए छात्र पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान नहीं दे पाते हैं।
क्या लिखा है पत्र में
प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कुलपतियों ने कहा, “हम शिक्षाविदों का समूह शिक्षण संस्थानों में बन रहे माहौल पर अपनी चिंताएं बताना चाहते हैं। हमने यह अनुभव किया है कि, शिक्षण संस्थानों में शिक्षा सत्र के रोकने और बाधा डालने की कोशिश राजनीति के नाम पर वामपंथी छात्र एक एजेंडे के तहत कर रहा है। हाल ही में जेएनयू से लेकर जामिया और अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय से लेकर जादवपुर विश्वविद्यालय के माहौल में जिस तरह की गिरावट आई है वह वामपंथियों और लेफ्ट विंग एक्टिविस्ट के एक छोटे समूह की वजह से हुआ है।”
बच्चों को गलत तरीके से किया जा रहा प्रभावित
कुलपतियों ने कहा, ”इन संस्थानों में वामपंथियों की वजह से पढ़ाई-लिखाई के कामों में बाधा पहुंची है। छोटी उम्र में ही छात्रों को भ्रमित करने की कोशिश ना केवल उनके सोचने की क्षमता बल्कि उनकी कौशल को भी प्रभावित कर रही है। इसकी वजह से छात्र ज्ञान और जानकारी की नई सीमाओं को लांघने और खोजने की बजाय छोटी राजनीति में उलझ रहे हैंय़ विचारधारा के नाम पर अनैतिक राजनीति करके समाज और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ असहिष्णुता बढ़ाई जा रही है। इस तरह के प्रयासों से बहस को सीमित करके विश्वविद्यालयों और संस्थानों को दुनिया की नजरों से दूर करने की कोशिश की जा रही है।”
बढ रही असहिष्णुता
विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने कहा, ”विद्यार्थियों के विभिन्न समूह और वर्गों के बीच असहिष्णुता जन्म ले रही है बल्कि अध्यापकों और बुद्धिजीवियों के बीच भी खराब माहौल बन रहा है। सार्वजनिक स्थानों पर अपनी बात स्वतंत्र रूप से रखने में बेहद मुश्किल हो रही है और ऐसे कार्यक्रम करना भी कठिन होता जा रहा है क्योंकि लेफ्ट विंग राजनीति सेंसरशिप थोप रही है। धरना प्रदर्शन हड़ताल और बंद वामपंथियों के प्रभाव वाले इलाके में आम हो गए हैं। वामपंथी विचारधारा से सहमत नहीं होने पर व्यक्तिगत रूप से निशाना साधना और सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करना, तंग करना ऐसी घटनाओं में वृद्धि हुई है।”
गरीब छात्रों का हो रहा नुकसान
सभी 208 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने लिखा है कि ”लेफ्ट विंग की राजनीति की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान गरीब छात्रों और मित्र समुदाय से आने वाले छात्रों को हुआ है। लेफ्ट विंग की वजह से वे पढ़ने-सीखने और बेहतर भविष्य बनाने के अवसरों से चूक रहें। वैकल्पिक राजनीति करने और अपने स्वतंत्र विचारों को रखने के मौके भी उनसे छीने जा रहे हैं। वह अपने आप को वामपंथियों की राजनीति से घिरा हुआ पाते हैं। हम सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं की ओर से अपील करते हैं कि वह एक साथ आएं और शिक्षा की स्वतंत्रता, भाषण की आजादी और बहू विचार के साथ खड़े हों।”
स्त्रोत : एशियन नेट