जानिए, क्या होता है कुंभमेला ?

कुंभमेला विश्‍व का सबसे बडा धार्मिक पर्व है ! कुंभमेला भारत की सांस्कृतिक महानता का केवल दर्शन ही नहीं, अपितु संतसंग प्रदान करनेवाला आध्यात्मिक सम्मेलन है । यह श्रद्धालुओं का पर्व ही है । साथ ही, देवता, ऋषि, संत एवं तैंतीस करोड तीर्थ भी कुंभपर्व में सम्मिलित होते हैं, जो एक अद्वितीय घटना है । ‘हिन्दू-एकता’ कुंभमेले की घोषणा है । Read more »

किस स्थान पर कब कुंभमेला होता है ?

कौनसे स्थानपर कुंभमेला कब आयोजित किया जाए, यह ग्रहगणितपर आधारित है । देव-दानवोंके युद्धमें चंद्र, रवि एवं गुरुने देवताओंकी विशेष सहायता की । इसलिए उनकी विशिष्ट स्थितिपर कुंभपर्वका काल निश्चित होता है । Read more »

कुंभपर्व : उत्पत्तिकी कथा एवं उनका माहात्म्य

कुंभपर्वका लाभ उठानेके लिए देश-विदेशसे श्रद्धालु एकत्र आ रहे हैं । इस निमित्तसे कुंभपर्व का अर्थ, कुंभपर्व के उत्पत्तिकी कथा एवं कुंभपर्व का विविध धर्मग्रंथोंमें वर्णित माहात्म्य पाठकोंके लिए यहां प्रस्तुत कर रहे हैं । Read more »

कुंभमेलेका धार्मिक महत्त्व

कुंभपर्व अत्यंत पुण्यदायी होनेके कारण उस समय प्रयाग, हरद्वार (हरिद्वार), उज्जैन एवं त्र्यंबकेश्वर-नासिकमें स्नान करनेसे अनंत पुण्यलाभ होता है । इसलिए करोडों श्रद्धालु एवं साधु-संत इस स्थानपर एकत्रित होते हैं । Read more »

राजयोगी (शाही) स्नान : कुंभपर्व हरिद्वार २०२१ की समय सारिणी

कुंभपर्वोंमें प्रयाग (गंगा), हरिद्वार (गंगा), उज्जैन (क्षिप्रा) एवं त्र्यंबकेश्वर-नासिक के (गोदावरी के) तीर्थों में गंगाजी गुप्त रूप से रहती हैं । कुंभपर्व में गंगास्नान धार्मिक दृष्टि से लाभदायी है । इसलिए श्रद्धालु एवं संत कुंभमेले में स्नान करते हैं । पवित्र तीर्थक्षेत्रों में स्नान कर पाप-क्षालन हो, इस हेतु अनेक श्रद्धालु कुंभपर्वमें कुंभक्षेत्रमें स्नान करते हैं । Read more »

कुंभपर्वक्षेत्र प्रयाग की महिमा

यह उत्तरप्रदेशमें गंगा, यमुना एवं सरस्वतीके पवित्र ‘त्रिवेणी संगम’पर बसा तीर्थस्थान है । गंगा एवं यमुना नदी दिखाई देती हैं; परंतु सरस्वती नदी अदृश्य है । इस पवित्र संगमके कारण ही इसे ‘प्रयागराज’ अथवा ‘तीर्थराज’ कहा जाता है । Read more »

श्री गंगाजी की महिमा

गंगा नदी उत्तर भारतकी केवल जीवनरेखा नहीं, अपितु हिंदू धर्मका सर्वोत्तम तीर्थ है । ‘आर्य सनातन वैदिक संस्कृति’ गंगाके तटपर विकसित हुई, इसलिए गंगा हिंदुस्थानकी राष्ट्ररूपी अस्मिता है एवं भारतीय संस्कृतिका मूलाधार है । वे प्रकृतिका बहता जल नहीं; अपितु सुरसरिता (देवनदी) हैं । Read more »

श्रद्धालुओ, कुंभक्षेत्रकी पवित्रता तथा वहांकी सात्त्विकता बनाए रखनेका प्रयास करें !

कुंभक्षेत्र तीर्थक्षेत्र हैं । वहांकी पवित्रता तथा सात्त्विकता बनाए रखनेका प्रयास करना, यह स्थानीय पुरोहित, देवालयोंके न्यासी तथा प्रशासनके साथ ही वहां आए प्रत्येक तीर्थयात्रीका भी कर्तव्य है । Read more »

कुंभमेलेमें सहभागी होनेवाले विभिन्न अखाडे !

सर्वत्रके कुंभमेलेमें एकत्र होनेवाले सर्व अखाडे उत्तर भारतके हैं । प्रत्येक अखाडेमें महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, महंत जैसे कुछ प्रमुखोंकी श्रेणी होती है । नम्र, विद्वान तथा परमहंस पद प्राप्त ब्रह्मनिष्ठ साधुका चयन इस पदके लिए किया जाता है । Read more »

अमृतमयी क्षिप्रा नदी

क्षिप्रा नदी मध्य प्रदेश में बहने वाली एक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक नदी है। इसको शिप्रा नदी के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत की पवित्र नदियों में एक है। उज्जैन नगर की जीवन धारा क्षिप्रा को मोक्ष देने वाली यानि जनम-मरण के बंधन से मुक्त करने वाली माना गया है। उज्जैन में कुंभमेला इसी नदी के किनारे लगता है। Read more »