राष्ट्र-धर्म के संबंध में कुछ एक कर्तव्य न होनेवालों में बहुसंख्य पत्रकारों का भी अंतर्भाव होता है !

राष्ट्र-धर्म के संबंध में कुछ एक कर्तव्य न होनेवालों में बहुसंख्य पत्रकारों का भी अंतर्भाव होता है !

व्यक्तिस्वतंत्रतावाले देश को विनाश की ओर ले जा रहे हैं !

व्यक्ति की अपेक्षा समाज एवं समाज की अपेक्षा राष्ट्र महत्त्वपूर्ण है, यह समझ में न आनेवाले व्यक्तिस्वतंत्रतावाले देश को विनाश की ओर ले जा रहे हैं !

क्षयरोग में केवल खांसी की औषधि देने जैसे उपरी उपाय भ्रष्टाचार के संदर्भ में भी करनेवाला शासन !

सर्वत्र व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अनैतिकता क्या उपर उपर के उपाय कर रुकनेवाली है क्या ? उसके मूलतक जाने का अर्थ है नैतिकता एवं साधना सिखाना । एेसा करने से सर्वत्र व्याप्त आर्थिक अराजक मूल से बंद हो जाएगा ।

भ्रष्टाचारियों के राष्ट्र एवं धर्मप्रेमी परिजनों को आवाहन !

व्यक्ति को नौकरी से मिलनेवाला वेतन राष्ट्र एवं धर्मप्रेमी गृहिणी, उनकी युवा संतान एवं परिजनों को ज्ञात होता है । यदि वे अपेक्षा से अधिक राशि घर पर लाते हैं, तो ध्यान में रखें कि, वे भ्रष्टाचार कर रहे हैं । यह राष्ट्र के संदर्भ में अक्षम्य अपराध है ! अपराध के मूक साक्षी बनकर … Read more

विद्यालयीन शिक्षा में हिन्दू धर्म की शिक्षा न देने के कारण हिन्दुओं की हुई दुःस्थति !

यदि विद्यालय के पाठ्यक्रम में हिन्दू धर्म में बताया गया ज्ञान, विज्ञान तथा अच्छे संस्कार करनेवाली बातें अंतर्भूत की जाती, तो विद्यार्थियों के ध्यान में हिन्दू धर्म की महानता आकर राष्ट्र एवं धर्म के प्रति उन्हें अभिमान लगता । इसके अभाव में विद्यार्थियों के मन में एवं वे बडे होने पर भी उनके मन में … Read more

राष्ट्र-धर्म के संदर्भ में कुछ न करनेवाले पत्रकार

राष्ट्र-धर्म के संदर्भ में कुछ करने हेतु अन्यों को सीखानेवाले; किंतु स्वयं कुछ न करनेवाले पत्रकारों का औरों को नसीहत, अपनों की फजीहतवाले समूह में अंतर्भाव होता है ।

‘हिन्दू राष्ट्र’ में धार्मिक शिक्षा दी जाने के कारण, एक भी अपराधी नहीं होगा !

विद्यालयों में, जीवन का सबसे उपयोगी विषय, ‘साधना’ को छोडकर, अन्य सब विषय पढाए जाते हैं । इसलिए समाज में सर्वत्र, भ्रष्टाचार फैला हुआ है । इसके विपरीत, ‘हिन्दू राष्ट्र’ में धार्मिक शिक्षा दी जाने के कारण, एक भी अपराधी नहीं होगा !

हिन्दू राष्ट्र की राज्यभाषा !

हिन्दुओ, ‘हिन्दू राष्ट्र’ में दास्यता दर्शानेवाली एवं रज-तमप्रधान अंग्रेजी भाषा भारत में नहीं होगी । राज्यों की भाषा प्रशासकीय भाषा होगी । इसलिए यदि आप को ऐसा प्रतीत होता है कि, भविष्य में आपके बच्चों को नौकरी प्राप्त हो, तो उसे अभी से भारतीय राज्यभाषा में शिक्षा दें ।

खरी वास्तुशुद्धि !

१. सर्वसाधारण व्यक्ति : इन्हें अपना निवास ही वास्तू प्रतीत होती है एवं उसके लिए यदि आवश्यक है, तो वे वास्तुशद्धि विधि करते हैं । २. व्यष्टि साधना करनेवाले : इन्हें शरीर, मन एवं बुद्धि यह आत्मा की वास्तू प्रतीत होती है एवं वे उनकी शुद्धि हेतु प्रयास करते है । ३. समष्टि साधना करनेवाले … Read more

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