ईमानदार स्वामी विवेकानंद ! 

बचपन से ही स्वामी विवेकानंदजी में एक असाधारण प्रतिभा थी । वह जब बात करने लगते तो प्रत्येक व्यक्ति उन्हें ध्यानमग्न होकर सुनने लगता । एक दिन पाठशाला में उनकी कक्षा में वे अपने मित्रों से बात कर रहे थे । उसी समय उनके शिक्षक उनकी कक्षा में आ पहुंचे और उन्होंने अपना विषय पढाना आरंभ कर दिया । परन्तु नरेंद्र की बात सुन रहे छात्रों को कक्षा में शिक्षक आने का पताही नही चला । वे नरेंद्र को सुनते ही रहें । Read more »

हिन्‍दू संस्‍कृतिका सम्‍मान करनेवाले स्‍वामी विवेकानंदजी !

स्‍वामी विवेकानंदजी शिकागो गए थे । वहां भी वे केसरिया वेशभूषा पहनते थे । स्‍वामीजी को देखकर कुछ व्‍यक्‍ति उनके सामने आए । वे स्‍वामीजी से बोले, ‘‘हैलो, हाऊ आर यू ?’’(Hello, how are you?) अर्थात आप कैसे हैं ? तब स्‍वामीजी ने हाथ जोडकर कहा, ‘‘नमस्‍कार !’’ Read more »

स्वामी विवेकानंदजी की सीख

आप स्वामी विवेकानंदजी से तो अवश्य परिचित होंगे । वे रामकृष्ण परमहंस के परमशिष्य थे । दशदिशाओं में अध्यात्म की ध्वजा फहराते हुए उन्होंने जीवनभर अध्यात्म का प्रचार किया । विदेश में भी उनके प्रवचनों को बडी मात्रा में भीड लगी रहती थी । Read more »

स्वामी विवेकानंदजी का उनके सद्गुरु श्रीरामकृष्ण परमहंस के प्रति का भाव !

स्वामी विवेकानंदजी धर्मप्रसार के लिए भारत के प्रतिनिधी के रूप में ‘सर्व धर्म परिषद’के लिए शिकागो गए थे । वहां उपस्थित श्रोता गणों के मन जितकर वहां ‘न भूतो न भकिष्यति !’ ऐसा अद्भभूत प्रभाव डाला । वहा घटित एक प्रसंग इस कथा से देखेंगे । Read more »

धर्म-अधर्म के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण समान सारथी होने का ध्येय रखनेवाले स्वामी विवेकानंद

नरेंद्र ने (स्वामी विवेकानंदजी ने) केवल भारत में ही नहीं, अपितु पश्‍चिमी देशों में भी ‘सनातन धर्म’की ध्वजा फहरायी । उनकी बालक अवस्था मे घटित एक प्रसंग इस कथा से पढेंगे । Read more »