भगवान श्री गणेशजी को तुलसी क्‍यों नहीं चढ़ाते ?

तुलसी को सबसे पवित्र पौधा माना गया है। वहीं, आपको जानकर आश्‍चर्य होगा कि एक भगवान ऐसे भी हैं, जिनको तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाए जाते हैं। वो देवता हैं भगवान गणेश। इसके पीछे के तथ्‍य को जानने के लिए सुनें यह कहानी। Read more »

श्री गणेश जन्‍म की कथा !

शिवपुराण में बताए अनुसार देवी पार्वती एक दिन हल्‍दी का उबटन लगा रही थी । तभी अचानक माता के कक्ष मे नंदी आ पहुंचा । यह देखकर माता पार्वती को अच्‍छा नहीं लगा । उन्‍होंने सोचा कि वह घर में अकेली रहती हैं, इसलिए जब जिसका मन करता है, कोई भी उनके कक्ष में आ जाता है । अब मुझे एक ऐसा पुत्र चाहिए, जो उनके साथ रहे और किसी को अंदर न आने दे । Read more »

श्री गणेशजी और चंद्रमा की कथा !

चन्‍द्रमा ने जैसे ही श्री गणेश जी को डगमगाते हुए देखा, तो वे अपनी हंसी रोक नहीं पाए और उनका मजाक उडाते हुए बोले, इतने विशालकाय और एक छोटे से मूषक पर बैठे हो और हंसने लगे । चन्‍द्रमा की बात सुनकर गणेश जी को गुस्‍सा आ गया । उन्‍होंने सोचा कि घमंड में चूर होकर चन्‍द्रमा इस प्रकार से मेरा मजाक उडा रहा है । Read more »

मूषक अर्थात चूहा श्री गणेशजी का वाहन कैसे बना ?

श्रीगणेशजी का गजमुखासुर दैत्‍य से भयंकर युद्ध हुआ । युद्ध में श्रीगणेशजी का एक दांत टूट गया । तब क्रोधित होकर श्रीगणेशजी ने टूटे दांत से गजमुखासुर पर प्रहार किया । तब वह दैत्‍य घबराकर मूषक अर्थात चूहा बनकर भागने लगा; परंतु गणेशजी ने उसे पकड लिया । मृत्‍यु के भय से वह क्षमायाचना करने लगा । तब श्रीगणेशजी ने मूषक रूप में ही उसे अपना वाहन बना लिया । Read more »

गणपति काे ‘चिंतामणि’ नाम कैसे मिला ?

बच्चो, गणपति ज्ञान के देवता हैं । ये हमारे बुदि्धदाता हैं । इन्हें सारे विघ्न दूर करनेवाले भगवान अर्थात `विघ्नहर्ता ‘ भी कहते हैं । आज देखते हैं, उनके दूसरे अनेक नामों में ‘चिंतामणि’ नाम उन्हें कैसे मिला । Read more »

श्रीगणेश एकदंत कैसे हुए ?

कार्तवीर्य का वध कर कृतार्थ हुए भगवान परशुरामजी कैलासपर गए । वहां उनकी भेंट सभी गणों से तथा गणाधीश गणपति से भी हुई । शंकरजी के दर्शन की इच्छा श्रीपरशुराम के मन में थी; परंतु उस समय शिव-पार्वतीजी विश्राम कर रहे थे ।
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गणपति का मारक रूप

बच्चों, आज हम अपने प्यारे गणपति बाप्पा की कथा से परिचित होंगे । हम सब गणपतिजी के तारक रूप से परिचित हैं, जिसमें गणपति का एक हाथ आर्शीवाद देनेवाला एवं करूणामय दृष्टि है । Read more »