निर्णय बदलकर आठ दिनोंके अंदर वारकरियोंसे खुलकर क्षमा न मांगनेपर वारकरी रास्तेपर आएंगे !

वैशाख कृष्ण ९, कलियुग वर्ष ५११५

निर्णय बदलकर आठ दिनोंके अंदर वारकरियोंसे खुलकर क्षमा न मांगनेपर वारकरी रास्तेपर आएंगे ! – ह.भ.प. माधव महाराज शिवणीकर

मंदिर समितिद्वारा भगवान पांडुरंगकी उत्सवमूर्तिपर ( की ) महापूजा करनेका  निर्णय : वारकरी, बडवे आदिका विरोध


पंढरपुर – महापूजा आरंभ करने हेतु उत्सवमूर्ति स्थापित करो, ऐसी किसीकी भी मांग नहीं थी । ऐसा होते हुए भी मंदिर समितिके अध्यक्ष अण्णा डांगेजीने उत्सवमूर्ति स्थापित कर महापूजा करनेका निर्णय लिया । यह निर्णय बदलकर आठ दिनोंके अंदर वारकरियोंसे खुलकर क्षमा न मांगनेपर वारकरियोंको रास्तेपर उतरना पडेगा, ऐसी चेतावनी वारकरी, फडकरी तथा दिंडी समाज संगठनके अध्यक्ष ह.भ.प. माधव महाराज शिवणीकरजीने दी है । (मूल मूर्ति होते हुए उत्सवमूर्ति स्थापित कर, उसकी पूजा करें,  शास्त्रमें ऐसा कहीं भी बताया नहीं है । ऐसी स्थितिमें मनमाना निर्णय लेनेवाले विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर देवस्थान समितिके अध्यक्ष अण्णा डांगेजीने पुन: फिर एक बार, वे वारकरियोंके नहीं, अपितु प्रशासनके ही प्रतिनिधि होनेकी बात स्पष्ट की है । मूलत: समितिके अध्यक्षपदपर डांगे जैसे शासनकर्ताओंके दलाल (हस्तक) व्यक्तिका होना तथा मंदिर प्रशासनके नियंत्रणमें होना, ये ही इस प्रश्नके मूल कारण हैं; यह स्थिति बदलने हेतु हिंदू राष्ट्र चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

ह.भ.प. माधव महाराज शिवणीकरजीने कहा …

१. भारतीय पुरातत्त्व विभागने, श्री विट्ठलकी स्वयंभू मूर्ति न घिसे, इस हेतु मूर्तिकी महापूजा बंद करनेके निर्देश दिए थे । उसके अनुसार पिछले तीन वर्षाोंसे स्वयंभू मूर्तिकी महापूजा बंद है ।

 २. यह निर्णय लेते समय तत्कालीन अध्यक्ष अधिवक्ता शशिकांत पागेजीने वारकरी प्रतिनिधियोंको विश्वासमें लेकर उनकी सहमतिसे निर्णय लिया था ।

३. इस घटनाके पश्चात कोई भी वारकरी अथवा श्रद्धालुने ऐसी कोई मांग नहीं की थी, फिर भी समितिद्वारा उत्सवमूर्तिकी प्रतिष्ठापना करनेका दुराग्रह क्यों ?

४. महापूजा भले ही बंद की गई हो, तुलसीrपूजा, पाद्यपूजा, काकड आरती, तथा भगवानके अन्य पूजा उपचार नित्यनियमानुसार चालू हैं ।

५. अनावश्यक विषयकी पहल कर समितिके अध्यक्ष प्रसिद्धिके घेरेमें रहते हैं । यदि  आठ दिनोंके अंदर वे वारकरियोंसे खुलकर क्षमा नहीं मांगते हैं, तो वारकरियोंको रास्तेपर उतरना पडेगा ।

६. प्रशासनद्वारा अण्णा डांगे जीकी भूामिकाकी  पूछताछ हो ।

उत्सवमूर्तिकी महापूजा नहीं करेंगे ! – दत्तात्रय बडवे

इस विषयमें श्री. दत्तात्रय बडवेजीने कहा,  `समितिका निर्णय बचकाना है । पूरे महाराष्ट्रमें श्री विट्ठल भगवानके लाखों मंदिर होते हुए भी श्रद्धालुओंकी भीड पंढरपुर ही क्यों होती है ? पैसोंसे अधिक मूर्तिकी सुरक्षा महत्त्वपूर्ण है । अत: हम उत्सवमूर्तिपर महापूजा  अर्पित नहीं करेंगे ।

श्रद्धालुओंका प्रतिसाद तथा प्रतिक्रिया देखकर निर्णय लेंगे ! – मंदिर समितिके ज्येष्ठ सदस्य तथा भागवताचार्य वा.ना. उत्पात

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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